पैतृक प्रॉपर्टी बेचने से पहले जान लें ये कानून – वरना हो सकती है FIR और कोर्ट केस

क्या होती है पैतृक संपत्ति? पैतृक संपत्ति वह होती है जो किसी व्यक्ति को उसके पूर्वजों से चार पीढ़ियों तक बिना बंटवारे के हस्तांतरित हुई हो, यानी दादा, परदादा से प्राप्त हुई हो। इस संपत्ति पर सभी कानूनी वारिसों का समान अधिकार होता है – चाहे उन्होंने उसमें योगदान दिया हो या नहीं।

क्या कोई अकेला व्यक्ति बेच सकता है पैतृक संपत्ति?

नहीं। भारत के उत्तराधिकार कानून के तहत यदि कोई संपत्ति पैतृक है, तो उसे बेचने के लिए सभी कानूनी उत्तराधिकारियों (जैसे भाई-बहन, पुत्र-पुत्री, पत्नी आदि) की लिखित सहमति आवश्यक होती है। यदि कोई व्यक्ति अकेले संपत्ति बेच देता है, तो अन्य वारिस FIR या सिविल मुकदमा दर्ज करा सकते हैं।

कौन कर सकता है आपत्ति?

यदि कोई पैतृक संपत्ति किसी एक वारिस द्वारा बेची जाती है और बाकी सदस्यों की सहमति नहीं ली गई, तो ये लोग आपत्ति कर सकते हैं:

  • भाई या बहन
  • माता-पिता
  • बेटे-बेटी (भले ही नाबालिग हों)
  • पत्नी
  • किसी भी वैध उत्तराधिकारी के वकील या गार्जियन

कानूनी प्रावधान क्या कहते हैं?

  • हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत, सभी सह-वारिसों का समान हिस्सा होता है
  • सहमति के बिना की गई बिक्री अवैध मानी जाती है
  • आपत्ति करने वाला व्यक्ति सिविल कोर्ट में स्टे ऑर्डर ले सकता है
  • फर्जीवाड़े की स्थिति में FIR दर्ज कर आपराधिक मामला भी चलाया जा सकता है

क्या नाबालिग वारिस का भी हक है?

जी हां, यदि किसी पैतृक संपत्ति पर कोई नाबालिग वारिस का अधिकार है, तो उसके हक को नजरअंदाज कर संपत्ति बेचना कानूनन अपराध माना जाता है। ऐसे मामलों में कोर्ट से गार्जियन की अनुमति लेना अनिवार्य है।

बचने के लिए क्या करें?

  • संपत्ति बेचने से पहले सभी वारिसों से लिखित सहमति लें
  • संपत्ति की वसीयत या बंटवारे का दस्तावेज साफ-साफ रखें
  • रजिस्ट्री से पहले एक लीगल नोटिस सभी उत्तराधिकारियों को भेजें
  • विवाद की स्थिति में पहले मामले का सिविल समाधान खोजें

क्या है समाधान अगर संपत्ति पहले ही बेच दी गई हो?

अगर कोई पैतृक संपत्ति पहले ही किसी एक सदस्य द्वारा बेच दी गई है, तो अन्य उत्तराधिकारी न्यायालय में मामला दर्ज कर बिक्री को रद्द करवा सकते हैं। इसके साथ ही वे बकाया हिस्से की मांग या मुआवजे का दावा भी कर सकते हैं।

निष्कर्ष

पैतृक संपत्ति बेचना आसान नहीं है, क्योंकि इसमें सभी उत्तराधिकारियों का कानूनी हक होता है। बिना सहमति के संपत्ति बेचना न सिर्फ नैतिक रूप से गलत है, बल्कि कानूनी रूप से अपराध भी हो सकता है। इसलिए कोई भी कदम उठाने से पहले कानूनी सलाह अवश्य लें और उचित प्रक्रिया अपनाएं।

डिस्क्लेमर

यह लेख केवल सामान्य कानूनी जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी विशेष मामले में कार्रवाई से पहले किसी अनुभवी वकील से सलाह लेना अनिवार्य है। नियमों में समय-समय पर बदलाव संभव हैं।

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