टू-व्हीलर के कारण कट रहे हैं BPL कार्ड, सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं लोग – Haryana BPL Card Issue

घर में टू व्हीलर होने पर भी कट रहा BPL कार्ड, हरियाणा में बीपीएल (Below Poverty Line) कार्ड धारकों के लिए बड़ी चिंता की खबर सामने आ रही है। हाल ही में कई जिलों में लोगों के BPL राशन कार्ड रद्द किए जा रहे हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि उनके पास टू-व्हीलर या छोटा वाहन है। ऐसे में हजारों परिवारों का नाम BPL सूची से बाहर कर दिया गया है, जिससे उन्हें राशन और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा।

सरकारी सिस्टम पर उठे सवाल

स्थानीय लोगों का आरोप है कि आय सीमा या सामाजिक-आर्थिक स्थिति की सही जांच किए बिना केवल संपत्ति के नाम पर कार्ड काटे जा रहे हैं। एक बड़ी संख्या में ऐसे परिवार हैं जिनकी कुल वार्षिक आय ₹1.80 लाख से कम है, लेकिन केवल स्कूटर या बाइक होने के आधार पर उनका बीपीएल कार्ड रद्द कर दिया गया है।

परिवार हुए परेशान, कई जिलों में विरोध

फतेहाबाद, हिसार, झज्जर, सिरसा जैसे जिलों में लोगों ने SDM कार्यालयों और खाद्य आपूर्ति विभाग के बाहर प्रदर्शन किए हैं। कई जगहों पर ग्रामीणों ने शिकायत दर्ज कराई कि अधिकारी सुनवाई नहीं कर रहे और पोर्टल पर कार्ड की स्थिति “इनएक्टिव” दिखा रही है।

अफसरों की दलील: संपत्ति आधारित मूल्यांकन

अधिकारियों का कहना है कि सरकार की नई गाइडलाइंस के तहत सामाजिक-आर्थिक मानकों में संशोधन किया गया है, जिसमें घर, वाहन, कृषि भूमि और सरकारी नौकरी जैसे मापदंडों को शामिल किया गया है। ऐसे में अगर किसी के पास बाइक या अन्य वाहन है, तो उसे गरीबी रेखा से ऊपर माना जा रहा है।

पुनः सत्यापन की मांग तेज

लोगों ने राज्य सरकार से मांग की है कि ऐसे मामलों में मानवाधिकार और जमीनी वास्तविकता को देखते हुए दोबारा सर्वे कराया जाए। कई ऐसे परिवार हैं जिनके पास टू-व्हीलर तो है, लेकिन आमदनी बिल्कुल सीमित है और वे वास्तव में BPL श्रेणी में आते हैं।

सरकार की तरफ से क्या प्रतिक्रिया?

हरियाणा सरकार ने फिलहाल इस विवाद पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार जल्द ही एक पुनः सत्यापन अभियान शुरू कर सकती है। साथ ही संबंधित विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वे शिकायतों की गंभीरता से जांच करें।

निष्कर्ष

टू-व्हीलर या मामूली संपत्ति के आधार पर BPL कार्ड रद्द करना न केवल जनहित के खिलाफ है, बल्कि इससे गरीब वर्ग की ज़रूरतमंद जनता योजनाओं से वंचित हो रही है। सरकार को चाहिए कि वो डिजिटल डेटा के साथ जमीनी हकीकत को भी आधार बनाकर निर्णय ले, ताकि सच में गरीबों को उनका हक मिल सके।

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