NEET UG Toppers Criteria: अगर दो छात्रों को मिलें एक जैसे नंबर तो टॉपर कौन बनेगा? जानिए पूरी पॉलिसी

NEET UG 2025 के परिणाम की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है और छात्रों को अब अपने स्कोर और रैंक का इंतजार है। इसी बीच एक अहम सवाल सामने आ रहा है – अगर दो या अधिक छात्रों के अंक समान हों, तो कौन टॉपर माना जाएगा? इसका जवाब नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की टाई-ब्रेकिंग पॉलिसी में छिपा है।

बायोलॉजी में अधिक अंक वालों को प्राथमिकता

यदि दो छात्रों के कुल अंक बराबर होते हैं, तो सबसे पहले बायोलॉजी विषय के अंकों की तुलना की जाती है। जिस छात्र के बायोलॉजी में अधिक अंक होते हैं, उसे बेहतर रैंक दी जाती है। यह विषय NEET में सबसे अधिक वेटेज वाला होता है, इसलिए इसे पहले देखा जाता है।

उसके बाद केमिस्ट्री का नंबर आता है

यदि बायोलॉजी में भी दोनों छात्रों के अंक समान होते हैं, तो फिर केमिस्ट्री के अंकों की तुलना की जाती है। जिस छात्र के केमिस्ट्री में अधिक अंक होते हैं, उसे ऊंची रैंक मिलती है।

फिर देखा जाएगा फिजिक्स स्कोर

अगर केमिस्ट्री में भी टाई बनी रहती है, तो फिजिक्स में प्राप्त अंकों को देखा जाएगा। अधिक अंक पाने वाला छात्र रैंकिंग में आगे रखा जाएगा।

गलत उत्तरों का अनुपात भी देखा जाएगा

तीनों विषयों में समान अंक होने की स्थिति में अब NTA यह देखता है कि किस उम्मीदवार के गलत उत्तर कम हैं। सही और गलत उत्तरों के अनुपात के आधार पर भी रैंक तय की जाती है। यह नियम इसलिए जोड़ा गया है ताकि उत्तरों की सटीकता को प्राथमिकता दी जा सके।

अंत में रैंडम चयन प्रक्रिया

यदि उपरोक्त सभी मापदंडों पर भी कोई निर्णय नहीं बन पाता, तो NTA एक रैंडम ड्रॉ की प्रक्रिया अपनाता है। यह निष्पक्ष तरीके से किसी एक छात्र को प्राथमिकता देता है और उसे उच्च रैंक प्रदान की जाती है।

टाई ब्रेकिंग का नया फॉर्मूला क्यों जरूरी है?

हर साल लाखों छात्र परीक्षा में शामिल होते हैं और कई बार स्कोर एक जैसे होते हैं। ऐसे में बिना स्पष्ट पॉलिसी के रैंक देना मुश्किल हो सकता है। NTA की यह पॉलिसी पारदर्शी और निष्पक्ष चयन सुनिश्चित करती है।

छात्रों को क्या करना चाहिए?

छात्रों को न केवल अच्छे अंक लाने की कोशिश करनी चाहिए, बल्कि सटीक उत्तर देने पर भी ध्यान देना चाहिए। गलत उत्तरों से बचना और बायोलॉजी, केमिस्ट्री व फिजिक्स में संतुलित स्कोर रखना रैंकिंग में फायदा दे सकता है।

निष्कर्ष: अगर दो छात्रों के अंक समान होते हैं, तो NTA पहले बायोलॉजी, फिर केमिस्ट्री, फिर फिजिक्स, फिर गलत उत्तरों के अनुपात और अंत में रैंडम चयन प्रक्रिया के जरिए रैंक तय करता है। यह नीति परीक्षा परिणाम को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने में मदद करती है।

Leave a Comment

Free Mobile